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Shiradi Sai Baba Decoded

> SAI BABA REALITY FROM SAI SAT-CHARITRA साँई माँसाहार का प्रयोग करता था व स्वयं  जीवहत्या करता था!   " मैं मस्जिद में एक बकरा हलाल करने वाला हूँ , बाबा ने शामा से कहा हाजी से पुछो उसे क्या रुचिकर होगा - " बकरे का मांस , नाध या अंडकोष ? " -अध्याय ११  ( 1 ) मस्जिद में एक बकरा बलि देने के लिए लाया गया । वह अत्यन्त दुर्बल और मरने वाला था । बाबा ने उनसे चाकू लाकर बकरा काटने को कहा । - अध्याय 23. पृष्ठ 161 .  ( 2 ) तब बाबा ने काकासाहेब से कहा कि मैं स्वयं ही बलि चढ़ाने का कार्य करूँगा । - : अध्याय 23. पृष्ठ 162 .   ( 3 ) फकीरों के साथ वो आमिष ( मांस ) और मछली का सेवन करते थे । - : अध्याय 5. व 7 .  ( 4 ) कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल अर्थात् नमकीन पुलाव ।- : अध्याय 38. पृष्ठ 269 .  ( 5 ) एक एकादशी के दिन उन्होंने दादा कलेकर को कुछ रुपये माँस खरीद लाने को दिये । दादा पूरे कर्मकाण्डी थे और प्रायः सभी नियमों का जीवन में पालन किया करते थे । - : अध्याय 32. पृष्ठ : 270 .  ( 6 ) ऐसे ही एक अवसर पर उन्होंने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है ? दादा ने
  योगानुशासनम् ॥ १ ॥  शब्दार्थ  -- ( अथ ) अब प्रारम्भ किया जाता है ( योग - अनुशासनम् ) योग के स्वरूप को बताने वाले शास्त्र का।   सूत्रार्थ -- अब योग के स्वरूप को बताने वाले शास्त्र का प्रारम्भ किया जाता है ।  व्यासभाष्यम् - अथेन्ययमधिकारार्थः । योगानुशासनं शास्त्रमधिकृतं वेदितव्यम् । योगः समाधिः । सच सार्वभौमश्चितस्य धर्मः क्षिप्तं मूढं , विक्षिप्तमेकाग्रं निरुद्धमिति चित्तभूमयः । तत्र विक्षिप्ते चेतसि विक्षेपोपसर्जनीभूतः समाधिर्न योगपक्षे वर्तते । यस्त्वेकाग्रे चेतसि सद्भुतमर्थ प्रद्योतयति क्षिणोति च क्लेशाकर्मबन्धनानि लयति निरोधमभिमुखं करोति स संप्रज्ञातो योग इत्याख्यायते स च वितर्कानुगतो , विचारानुगत आनन्दानुगतोऽस्मितानुगत इत्युपरिष्टात्प्रवेदयिष्यामः सर्ववृत्तिनिरोधे त्वसंप्रज्ञातः समाधिः ॥ १ ॥   व्यासभाष्य  -- अनुवाद ' अथ ' शब्द अधिकारार्थ है । यह शब्द आरम्भ को कहता है । इस शब्द से ' योगानुशासन ' नामक शास्त्र प्रारम्भ किया जा रहा है , यह जानना चाहिए । ' योग ' समाधि को कहते हैं । और वह ( समाधि ) चित्त की सब भूमियों में रहने वाला धर्म है । चित्त की क्षिप्त

DO HINDUS ACTUALLY SUPPORT GHARWAPSI? / क्या हिन्दू सच में घर वापसी का समर्थन करते हैं ?

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  WE HAVE ALL HEARD THIS SHLOK SO MANY TIMES , BUT NEVER CONTEMPLATED ON ITS MEANING. IN THIS  SHLOKA LORD KRISHNA VERY CLEARLY STATES THAT ,"  You have a right to perform your prescribed duties, but you are not entitled to the fruits of your actions." BUT HOW MANY PEOPLE ACTUALLY TAKE THIS TEACHING SERIOUSLY?? MY ASSUMPTION IS AROUND 2 TO 5 % OF THE TOTAL POPULATION OF SANATANIS ARE KARMA ORIENTED . BUT WHY AM I SAYING THIS ? MY DEAR  READERS MAY ASK. I SHALL NARRATE MY OBSERVATION POINT BY POINT.  1. THE CASTE PROBLEM  - MAJORITY HINDUS STILL BELIEVE THAT CASTE OF A PERSON IS DECIDED BY BIRTH AND NOT BY HIS KARMA. THIS THEORY IS PROPAGATED BY A LOT OF HINDU SECTS WHICH I SHALL NOT NAME. EVERY INDIVIDUAL SHOULD DECIDE FOR THEMSELVES. FOR INSTANCE, LETS ASSUME A PERSON CONVERTS FROM A PARSI INTOA HINDU. WHAT WILL BE HIS CASTE ?? CAN HE BECOME A BRAHMIN? OR WILL HE REMAIN A SHUDRA. ?THERE ARE A LOT , AND I MEAN A LOT OF HINDUS WHO ARE ANTI - GHAR WAPSI, AND THIS IS A VER

Madan Mohan Malviya Short Story in Sanskrit

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  1.अद्यतन कथा एकः महानव्यक्तेः जीवनआधारितं अस्ति। आज की कहानी एक महान व्यक्ति के जीवन पर आधारित है। 2. तस्य नामः मदनमोहनमालवीयःअस्ति। उसका नाम मदन मोहन मालवीय है। 3. तस्य जीवने एक रोचक घटना घटिता। उनके जीवन में एक दिलचस्प घटना घटी। 4. सः बनारस हिन्दु विश्वविद्यालयं स्थापितवान्। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। 5. विश्वविद्यालयः कार्यर्थं सः सर्वेषु गृहेषु धनं संगृहीवान्। उन्होंने विश्वविद्यालय के काम के लिए सभी घरों से पैसा इकट्ठा किया 6. एकं दिनं सः एकं धनिकस्य ग्रहं आसीत्। एक दिन वह एक अमीर आदमी का ग्रह था। 7. धनिकः सुखासने उपविष्टवान्। अमीर आदमी एक आरामदायक कुर्सी पर बैठ गया। 8. तस्य पुत्रः तस्य समीपे खेलितवान्। उसका बेटा उसके साथ खेलता था। 9. एका अग्निपेटिका अस्ति। एक फायरबॉक्स है। 10. सः अग्निपेटिकायाम् अग्निशलाकां स्वीकृतवान् एवं निरर्थं ज्वालितवान्। उसने आग के डिब्बे से आग की एक पट्टी ली और उसे व्यर्थ ही जला दिया। 11. सः दशं अग्निशलाकाः निरर्थं दिप्तवान्। उसने व्यर्थ में दस बार आग जलाई। 12. धनिकः अत्यधिक कोपितवान् एवं सः तस्य पुत्रः कठोरतः ताडितवान्। अमीर आदमी

Chanakya Aur Chor ki Kahani

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 "तत्र चाणक्यो नाम महापुरुषः आसीत् "=  चाणक्य नाम के  एक महान पुरुष थे  "सः चन्द्रगुप्तमौर्यस्य मंत्री आसीत्" = वह चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री थे "एकः चोरः आसीत्" = एक चोर था "सः चिन्तवान चाणक्य समीपे बहु धनं अस्ति" = उसने सोचा कि चाणक्य के पास बहुत पैसा है "सः चाणक्यस्य धनं चौर्यार्थं तस्य गृहे गतवान्" = वह चाणक्य के घर उनके पैसे चुराने गया था " रात्री समये चाणक्यः निद्रां करोति" = रात में चाणक्य सो जाते हैं " चोरः गृहे आगतवान्" = चोर घर में आया "चाणक्यस्य गृह विशालं उन्नतं च नास्ति" = चाणक्य का घर बड़ा और ऊंचा नहीं है "तद् गृहं एकः लघुः कुटुजः अस्ति" = वह घर एक छोटी सी झोपड़ी है "तद् दिनं बहु शीतं अस्ति " = वह दिन बहुत ठंडा है "चाणक्यस्य गृहे बहु कम्बलं सन्ति" = चाणक्य के घर में बहुत सारे कंबल हैं " किन्तु चाणक्य कम्बलं बिना तस्य प्रकोष्ठे निद्रां करोति" = लेकिन चाणक्य बिना कंबल के अपनी कोठरी में सो जाते हैं "चाणक्यस्य गृहे धनं नास्ति" = चाणक्य के घर में पै

Thristy crow story in Sanskrit

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Once upon a time , there was a crow in the Jungle .It was the hot summer season. The crow was very thirsty. So the crow flew everywhere in search of water . But unfortunately the crow could not find water. The crow became tired and disappointed. Suddenly the crow saw a water pot nearby. The crow became very happy. The crow flew towards the pot. There was some water inside the pot. एकदा , जङ्गले एकः काकः आसीत् । उष्णः ग्रीष्मकालः आसीत् । काकः अतीव तृषितः आसीत् । अतः काकः जलं अन्वेष्य सर्वत्र उड्डीयत। परन्तु दुर्भाग्येन काकः जलं न प्राप्नोत् । काकः श्रान्तः निराशः च अभवत् । सहसा काकः अपश्यत्समीपे जलकुम्भम् । काकः अतीव प्रसन्नः अभवत् । काकः घटः प्रति उड्डीयत। घटस्य अन्तः किञ्चित् जलम् आसीत् । The crow tried to drink water but failed. The water level was very low. After a few attempts he gave up and started thinking. There were stones near the pot. The crow thought a plan. He picked a stone and dropped it inside the pot. The crow repeated the process again and again. Finally the water rose