Shiradi Sai Baba Decoded

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SAI BABA REALITY FROM SAI SAT-CHARITRA

साँई माँसाहार का प्रयोग करता था व स्वयं  जीवहत्या करता था!

 " मैं मस्जिद में एक बकरा हलाल करने वाला हूँ , बाबा ने शामा से कहा हाजी से पुछो उसे क्या रुचिकर होगा - " बकरे का मांस , नाध या अंडकोष ? " -अध्याय ११ 

( 1 ) मस्जिद में एक बकरा बलि देने के लिए लाया गया । वह अत्यन्त दुर्बल और मरने वाला था । बाबा ने उनसे चाकू लाकर बकरा काटने को कहा । - अध्याय 23. पृष्ठ 161 .

 ( 2 ) तब बाबा ने काकासाहेब से कहा कि मैं स्वयं ही बलि चढ़ाने का कार्य करूँगा । - : अध्याय 23. पृष्ठ 162 . 

( 3 ) फकीरों के साथ वो आमिष ( मांस ) और मछली का सेवन करते थे । - : अध्याय 5. व 7 .

 ( 4 ) कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल अर्थात् नमकीन पुलाव ।- : अध्याय 38. पृष्ठ 269 . 

( 5 ) एक एकादशी के दिन उन्होंने दादा कलेकर को कुछ रुपये माँस खरीद लाने को दिये । दादा पूरे कर्मकाण्डी थे और प्रायः सभी नियमों का जीवन में पालन किया करते थे । - : अध्याय 32. पृष्ठ : 270 . 

( 6 ) ऐसे ही एक अवसर पर उन्होंने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है ? दादा ने यों ही मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है । तब बाबा कहने लगे कि तुमने न अपनी आँखों से ही देखा है और न ही जिहवा से स्वाद लिया . फिर तुमने यह कैसे कह दिया कि उत्तम बना है ? थोडा ढक्कन हटाकर तो देखो । बाबा ने दादा की बाँह पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन में डालकर बोले- " अपना कट्टरपन छोड़ो और थोड़ा चखकर देखो " । - : अध्याय 38. पृष्ठ 270 . 

अब जरा सोचे : -- 
{ 1 } क्या साँई की नजर में हलाली में प्रयुक्त जीव , जीव नहीं कहे जाते ? 
{ 2 }क्या एक संत या महापुरुष द्वारा क्षणभंगुर जिहवा के स्वाद के लिए बेजुबान नीरीह जीवों का मारा जाना उचित होगा ? SIZ 
{ 3 } सनातन धर्म के अनुसार जीवहत्या पाप है । तो क्या साँई पापी नहीं ? { 4 }
 एक पापी जिसको स्वयं क्षणभंगुर जिह्वा के स्वाद की तृष्णा थी , क्या वो आपको मोक्ष का स्वाद चखा पायेगा ?
 { 5 } तो क्या ऐसे नीचकर्म करने वाले को आप अपना आराध्य या ईश्वर कहना चाहेंगे ?। 

अन्य कारनामे 

1. साईं बाबा चिलम भी पीते थे . एक बार बाबा ने अपने चिमटे को जमीं में घुसाया और उसमें से अंगारा बहार निकल आया और फिर जमीं में जोरो से प्रहार किया तो पानी निकल आया और बाबा ने अंगारे से चिलम जलाई और पानी से कपडा गिला किया और चिलम पर लपेट लिया . ( अध्याय 5 साई सत्चरित्र )
 ( इस समय बाबा मात्र 19 वर्ष का था , ऊपर सिद्ध किया जा चूका है ) 

बाबा नशा करके क्या सन्देश देना चाहते थे और जमीं में चिमटे से अंगारे निकलने का क्या प्रयोजन था क्या वो जादूगरी दिखाना चाहते थे ?

 इस प्रकार के किसी कार्य से मानव जीवन का उद्धार तो नहीं हो सकता हाँ ये पतन के साधन अवश्य हैं . इस प्रकार की जादूगरी बाबा ने पुरे जीवनकाल में की । काश एक जादू की छड़ी घुमा कर बाबा सारे अंग्रेजों को इंग्लैंड पहुंचा देते ! अपने हक़ के लिए बोलने वालों को बर्फ पर नंगा लिठा कर पीटने क्यू दिया ?? 

2. बाबा एक महान जादूगर थे । योग क्रिया ( धोति ) विशेष प्रकार से करते थे । एक अवसर पर लोगों ने देखा की उन्होंने अपनी आँतों को अपने पेट से बाहर निकल कर चारों ओर से साफ किया और पेड़ पर सूखने के लिए टांग दिया । और खंड योग में उन्होंने अपने परे शरीर के अंगों को पथक पथक कर मस्जिद के भिन्न भिन्न स्थानों पर बिखेर दिया । अध्याय 7

 3. शिर्डी में एक पहलवान था उससे बाबा का मतभेद हो गया और दोनों में कुश्ती हुयी और बाबा हार गए ( अध्याय 5 साई सत्चरित्र ) . वो भगवान् का रूप होते हुए भी अपनी ही कृति मनुष्य के हाथों पराजित हो गए ? अपनी पहलवानी के कारन बाबा ने इससे पंगा लिया और पिट गया

4. बाबा को प्रकाश से बड़ा अनुराग था और वो तेल के दीपक जलाते थे और इस्सके लिए तेल की भिक्षा लेने के लिए जाते थे एक बार लोगों ने देने से मना कर दिया तो बाबा ने पानी से ही दीपक जला दिए . ( अध्याय 5 . साईं सत्चरित्र ) आज तेल के लिए युध्ध हो रहे हैं . तेल एक ऐसा पदार्थ है जो आने वाले समय में समाप्त हो जायेगा इस्सके भंडार सीमित हैं और आवश्यकता ज्यादा . यदि बाबा के पास ऐसी शक्ति थी जो पानी को  तेल में बदल देती थी तो उन्होंने इसको किसी को बताया क्यूँ नहीं ? अंतर्यामी को पता नही था की ये विद्या देने से भविष्य में होने वाले युद्ध टल सकते है । 

5. गाँव में केवल दो कुएं थे जिनमें से एक प्राय सुख जाया करता था और दुसरे का पानी खरा था . बाबा ने फूल डाल कर खारे जल को मीठा बना दिया . लेकिन कुएं का जल कितने लोगों के लिए पर्याप्त हो सकता था इसलिए जल बहार से मंगवाया गया . ( अध्याय 6 साई सत्चरित्र ) Co वर्ल्ड हेअथ ओर्गानैजासन के अनुसार विश्व की ४० प्रतिशत से अधिक लोगों को शुद्ध पानी पिने को नहीं मिल पाता . यदि भगवन पीने के पानी की समस्या कोई समाप्त करना चाहते थे तो पुरे संसार की समस्या को समाप्त करते लेकिन वो तो शिर्डी के लोगों की समस्या समाप्त नहीं कर सके उन्हें भी पानी बहार से मांगना पड़ा . और फिर खरे पानी को फूल डालकर कैसे मीठा बनाया जा सकता है ? 

6. फकीरों के साथ वो मांस और मच्छली का सेवन करते थे . कुत्ते भी उनके भोजन पत्र में मुंह डालकर स्वतंत्रता पूर्वक खाते थे . ( अध्याय 7 साई सत्चरित्र ) 

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